में हूँ गुनाहगार , मैंने की हैं गलतियाँ
इन्सान हूँ मैं , मुझमें भी हैं कमजोरियाँ
करतें रहें ये लोग , मैंने क्या किया नया
उठती नहीं हैं उनपे , मुझपे उठती उंगलियाँ
कर लूँ मैं प्रायश्चित , या ढुंढू कोई रास्ता
कर सकूं साबित मैं , कैसे बेगुनाहियाँ
पर वो चुप रहेगा ना , देगा गवाहियाँ
कर के कुछ जतन , मिटा दूँ उसकी हस्तियाँ
सोचता हूँ मैं गिना दूँ , चाल-चलके
न्यायाधीश की नज़र में, उसकी खामियां
लौट आऊं फिर से, अपनी राह मैं वापिस
या दबा दूँ दिल में अपने, अपनी खामियां
डरता हैं सच बोलने से, दिल मेरा
जीतता है आज, झूठ ही यहाँ
कशमकश में हूँ फंसा , की क्या करूँ
संभलूं की करूँ , गलतियों पे गलतियाँ
इन्सान हूँ मैं , मुझमें भी हैं कमजोरियाँ
करतें रहें ये लोग , मैंने क्या किया नया
उठती नहीं हैं उनपे , मुझपे उठती उंगलियाँ
कर लूँ मैं प्रायश्चित , या ढुंढू कोई रास्ता
कर सकूं साबित मैं , कैसे बेगुनाहियाँ
पर वो चुप रहेगा ना , देगा गवाहियाँ
कर के कुछ जतन , मिटा दूँ उसकी हस्तियाँ
सोचता हूँ मैं गिना दूँ , चाल-चलके
न्यायाधीश की नज़र में, उसकी खामियां
लौट आऊं फिर से, अपनी राह मैं वापिस
या दबा दूँ दिल में अपने, अपनी खामियां
डरता हैं सच बोलने से, दिल मेरा
जीतता है आज, झूठ ही यहाँ
कशमकश में हूँ फंसा , की क्या करूँ
संभलूं की करूँ , गलतियों पे गलतियाँ