January 2, 2011

दो हजार ग्यारह

नये सवेरे को लेकर , देखो सूरज आया है
उम्मींदों के पर पाके , हर शै मुस्काया है

नए-नए  सपने  जागे  हैं , आशाओं  के  भूपर                                        
सिहरन सी होती है मन में ,अरमानों को छूकर

भरे कुलांचे मन का पंछी , गाने लगा तराने
एकत्रित कर शक्ति सारी , उड़ने लगा उड़ाने   

झरने  लगे  हैं  पीले  पत्ते , नव  पल्लव  है  आया
काँटों के साये से निकलकर , कली-कली मुस्काया

नई  उमंगों  नई  तरंगों , ने  पर  फैलाया  है
दो हजार खुशियों के पल , लेकर ग्यारह आया है

शुभकामनाएं

नए साल में सब नई बात हों ,
                                      खिले से हो दिन और हँसी रात हों
बादल ग़मों के न मंडराने पाए ,
                                      हर रोज खुशियों की बरसात हो
ख्वाहिश रही जो अधूरी,हो पूरी,
                                      आनेवाला पल एक सौगात हो
न जंग न बैर न हो दुश्मनी  ,
                                     बस दोस्त की दोस्ती साथ हो
अरमां सजे सारे गुलशन के जैसे,
                                     मीठे से हर एक जज्बात हो
मिलते रहे हाथ से हाथ अब तक,
                                      मिले दिल से दिल वो मुलाकात हो

दस्तक

अभी खुलके इनसे मिल भी न पाए , की ये जा चुके हैं और वो आ गया है
जुदाई का दिल गम माना भी न पाया , घटा बन गगन में खुशी छा गया है

ये माना कि सच्चे हैं इनके हर वादे , बड़े  नेक  लेकर  हैं  आये  इरादे 
मगर हम भी इतने बेमरौवत नहीं हैं , ऐसे ही यूहीं किसी को भुलादे

इन्हें है पता हर इक आंसुओं का , ये है गवाह सारे खुशियों के पल का
बीते हुए पल सुलझ भी न पाए , सजाएँ स्वप्न कैसे आने वाले कल का

मगर है यही इस जहाँ कि बनावट , होता रहा यूहीं सदियों से अबतक
खिसक जाता चुपके से वर्ष पहला  , नया शाल धीरे से देता है दस्तक

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