October 28, 2010

आँखें

कुछ काली सी कुछ भूरी सी , कुछ होती हैं नीली आँखें
कुछ आघातों से सुनी सी , कुछ हर्षित चमकीली आँखें

कई उभरी सी और बड़ी-बड़ी , कई धंसी हुई डूबी आँखें
कई राग-रंग में फँसी हुई , कुछ तंगहाल उबी  आँखें

पलकों के नीचे छुपी हुई , दुनिया को दिखलाती आँखें
कुछ डरी-डरी सी सहमी सी , बचपन की घबराती आँखें

कुछ पाने पे कुछ खोने पे , हो जाती है गीली आँखें
यौवन का आना और होना , सपनों से रंगीली आँखें

बिछुडों से मिलने का वो सुख , खुशियों से भरी खिली आँखें
गिरती उठती मिलती छुपती , दुल्हन की शर्मीली आँखें

कभी हार जीत में फँसी हुई , बेसब्री  में  उलझी  आँखे
कई आशा और निराशा में , बोझिल सी बुझी-बुझी आँखे

वो इंतजार में अपनों की , इकटक राहें तकती आँखें
हो सूनापन और तन्हाई , और रातों को जगती आँखे

यादों में अपने सजना की , सजनी की है खोई आँखें
है राज ये लाली खोल रही , की रातों को रोई आँखें

वो लाचारी और झुरियों में , अंतिम घड़ियाँ गिनती आँखें
बीते  लम्हों  के  साये  से , कुछ प्यारे पल बिनती आँखें  

है नूर भी ये मगरूर भी ये , है नाज भरी कातिल आँखें
लाखों पहरों के आगे भी , लेती - देती  है  दिल  आँखें

जो बोल नहीं पाते ये लब , वो बातें भी कहती आँखें
सब भूल भी जाये कोई पर , है याद सदा रहती आँखें

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