December 25, 2010

बड़ा दिन

सुनो दोस्तों इक नई सी खबर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है
खोया - खोया सा अब शामो सहर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

मोटी परत ठंढ की है आने वाली, कोहरा फ़ज़ाओं में है छानेवाली
जो भी है ये सब शरद का असर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

 सर्द हवाओं के झोंके चलेंगे , अब तेल से दादा तलबे मलेंगे
दादी हमारी कहेगी कहर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

पहनने पड़ेंगे अब स्वेटर पर स्वेटर , बैठेगी मम्मी कांटा-ऊन लेकर
इसी काम में बितनी दो पहर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

अब हर जगह पर जलेंगी अलावें , किये जायेंगे कई तरह के उपाएँ
मानव तो मानव पशुओं को भी डर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

कहने को तो कहते हैं ठण्ड सजा है , मगर इसका अपना अलग ही मज़ा है
अब देर तक सोने का अवसर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

चाय और कॉफ़ी की चुस्की लगते, चद्दर लिहाफो में छुपते छुपाते
सबकी नज़र होनी आराम पर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

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