बनते- बनते रह गई जो , बात तो हम क्या करें
दे सके ना उम्रभर वो , साथ तो हम क्या करें
कर गये थे मिलने का , वादा सनम मुझसे मगर
रह गई आधी अगर , मुलाकात तो हम क्या करें
जल गया जो हसरतों की , आग में ये तन बदन
आये उसके बाद जो , बरसात तो हम क्या करें'
आरजू हमने भी की थी , रौशनी के साये की
आ गई काली अँधेरी , रात तो हम क्या करें
हाथों में मेंहदी रचाए , रह गये हम देखते
वो न आया ले के जो , बारात तो हम क्या करें
जश्न होता महफिल होती , गूंजती शहनाइयां
दे गया पर यार गम , सौगात तो हम क्या करें
नव भारती सेवा ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं का सशक्तिकरण। बदलते वक्त के साथ महिलाओं को भी अपनी परिधि का विस्तार करना होगा, यही समय की मांग है। समाज मे उपेक्षित रूप से जी रहीं महिलाओं को हम उनके ताक़त का भान कराकर उन्हें अपने सम्मानित रूप से जीने का अधिकार प्राप्त करने में सहायता प्रदान करते है|
October 6, 2010
ये इश्क क्या है - "गजल"
ये आँखें क्या है इक आईना हैं
है इसमें तस्वीर सनम की
ये इश्क क्या है इक जलजला है
आगाज है आनेवाले गम की
ये जख्म क्या है इक तोहफा है
निशानियाँ हैं उनके करम की
ये दर्द क्या है चिंगारियां है
ये है जलन किस्मत के सितम की
जूनून क्या है नादानियाँ है
आहट है बर्बादियों के कदम की
ये खाब क्या है इक आसरा है
ये है झरोंखा मन के भरम की
है इसमें तस्वीर सनम की
ये इश्क क्या है इक जलजला है
आगाज है आनेवाले गम की
ये जख्म क्या है इक तोहफा है
निशानियाँ हैं उनके करम की
ये दर्द क्या है चिंगारियां है
ये है जलन किस्मत के सितम की
जूनून क्या है नादानियाँ है
आहट है बर्बादियों के कदम की
ये खाब क्या है इक आसरा है
ये है झरोंखा मन के भरम की
शायरी
ये गम नहीं की गैरों ने कस्ती है डुबोई
हैं गम मुझे अपने खड़े तमाशबीन थे
रह-रह के मुझको दर्द ये बेचैन करता हैं
मेरे खाब से भी ज्यादा उसके सच हसीन थे
ऐ हंसी तू सब हसीनों से जुदा लगती है
मेरी इबादत मुझे तू मेरा खुदा लगती है
मैं हूँ बीमारे दिल तेरी मुहब्बत में
तू मुझे मेरे दर्दे दिल की दवा लगता है
तेरी जुल्फों की घटा में मुझे खोने तो दे
हैं तेरा प्यार समंदर ये दिल डुबोने तो दे
अगर तू दे नहीं सकता मुझे कुछ भी ऐ सनम
अपने कांधे पे रखके सर मुझे रोने तो दे
कभी जिन्दगी में ऐसे भी मोड़ आते हैं
अपने साये भी अपना साथ छोड़ जाते हैं
कुछ को खुदा की रहमत उबार लेती हैं
कुछ को ये वक्त के तूफान तोड़ जाते हैं
खुदा का वास्ता मुझको मेरे सनम मत दे
जिसे निभा न सकूं मैं ऐसी कसम मत दे
न दे सके तू ख़ुशी जो तो कोइ बात नही
कर रहम इतना सा मुझपे की अपने गम मत दे
हैं गम मुझे अपने खड़े तमाशबीन थे
रह-रह के मुझको दर्द ये बेचैन करता हैं
मेरे खाब से भी ज्यादा उसके सच हसीन थे
ऐ हंसी तू सब हसीनों से जुदा लगती है
मेरी इबादत मुझे तू मेरा खुदा लगती है
मैं हूँ बीमारे दिल तेरी मुहब्बत में
तू मुझे मेरे दर्दे दिल की दवा लगता है
तेरी जुल्फों की घटा में मुझे खोने तो दे
हैं तेरा प्यार समंदर ये दिल डुबोने तो दे
अगर तू दे नहीं सकता मुझे कुछ भी ऐ सनम
अपने कांधे पे रखके सर मुझे रोने तो दे
कभी जिन्दगी में ऐसे भी मोड़ आते हैं
अपने साये भी अपना साथ छोड़ जाते हैं
कुछ को खुदा की रहमत उबार लेती हैं
कुछ को ये वक्त के तूफान तोड़ जाते हैं
खुदा का वास्ता मुझको मेरे सनम मत दे
जिसे निभा न सकूं मैं ऐसी कसम मत दे
न दे सके तू ख़ुशी जो तो कोइ बात नही
कर रहम इतना सा मुझपे की अपने गम मत दे
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