October 6, 2010

तो हम क्या करें - ''गजल ''

बनते- बनते रह गई जो , बात तो हम क्या करें
दे  सके ना  उम्रभर  वो  , साथ तो हम क्या करें

कर गये थे मिलने  का , वादा सनम मुझसे मगर
 रह गई आधी  अगर  , मुलाकात तो हम क्या करें

जल गया जो हसरतों की , आग में ये तन बदन
आये उसके  बाद जो  ,  बरसात तो हम क्या करें'

 आरजू  हमने भी की थी , रौशनी के  साये  की
आ  गई  काली  अँधेरी  ,  रात तो हम क्या करें

हाथों  में मेंहदी  रचाए , रह  गये हम  देखते
वो न  आया ले के  जो , बारात तो हम क्या करें

जश्न होता महफिल होती , गूंजती शहनाइयां
दे गया पर यार गम  ,  सौगात तो हम क्या करें

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