March 14, 2011

सुनामी और मानव

प्रलय का ही दूसरा  नाम है ये
तबाही की खातिर बदनाम है ये 
 काल सा लहरों का शोर लिए 
युग के उत्थान का तोड़ लिए 
आके ये जग को मिटाता फिरे 
बहावों में सबको बहाता फिरे 
है इसके लिए न परिधि बनी 
 जाने क्यूँ जग से है इसकी ठनी
बनते को पल में बिगाड़ा करे 
संवरों की सूरत उजाड़ा करे 
आता है बस तोड़ने हौसले 
कहे रोक सकता है तो रोक ले  
ललकारे ये , बेबस खड़ी जिंदगी 
लगती है छोटी ,बड़ी जिंदगी 
सुनो ऐ सुनामी मेरी बात को 
नहीं तुममे ताकत हमें मत दो 
है मानव मरा पर आशा न मरी 
जीने की जिजीविषा न मरी 
हैं गम ऐसे पहले भी आते रहें 
मानव धर्म अपना निभाते रहें 
तुम्हे आता है गर मिटाना हमें 
आता है बिगड़ा बनाना हमें 
माना की सदमा बहुत है बड़ा            
आघात दिल पे किया है कड़ा
लेकिन है जबतक बची जिंदगी 
गम में भी हम ढूंढ़ लेंगे ख़ुशी 
देंगे मिशालें जो हम प्यार के 
जाना पड़ेगा तुम्हे हार के

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