January 2, 2011

दस्तक

अभी खुलके इनसे मिल भी न पाए , की ये जा चुके हैं और वो आ गया है
जुदाई का दिल गम माना भी न पाया , घटा बन गगन में खुशी छा गया है

ये माना कि सच्चे हैं इनके हर वादे , बड़े  नेक  लेकर  हैं  आये  इरादे 
मगर हम भी इतने बेमरौवत नहीं हैं , ऐसे ही यूहीं किसी को भुलादे

इन्हें है पता हर इक आंसुओं का , ये है गवाह सारे खुशियों के पल का
बीते हुए पल सुलझ भी न पाए , सजाएँ स्वप्न कैसे आने वाले कल का

मगर है यही इस जहाँ कि बनावट , होता रहा यूहीं सदियों से अबतक
खिसक जाता चुपके से वर्ष पहला  , नया शाल धीरे से देता है दस्तक

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