January 2, 2011

दो हजार ग्यारह

नये सवेरे को लेकर , देखो सूरज आया है
उम्मींदों के पर पाके , हर शै मुस्काया है

नए-नए  सपने  जागे  हैं , आशाओं  के  भूपर                                        
सिहरन सी होती है मन में ,अरमानों को छूकर

भरे कुलांचे मन का पंछी , गाने लगा तराने
एकत्रित कर शक्ति सारी , उड़ने लगा उड़ाने   

झरने  लगे  हैं  पीले  पत्ते , नव  पल्लव  है  आया
काँटों के साये से निकलकर , कली-कली मुस्काया

नई  उमंगों  नई  तरंगों , ने  पर  फैलाया  है
दो हजार खुशियों के पल , लेकर ग्यारह आया है

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