December 25, 2010

बड़ा दिन

सुनो दोस्तों इक नई सी खबर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है
खोया - खोया सा अब शामो सहर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

मोटी परत ठंढ की है आने वाली, कोहरा फ़ज़ाओं में है छानेवाली
जो भी है ये सब शरद का असर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

 सर्द हवाओं के झोंके चलेंगे , अब तेल से दादा तलबे मलेंगे
दादी हमारी कहेगी कहर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

पहनने पड़ेंगे अब स्वेटर पर स्वेटर , बैठेगी मम्मी कांटा-ऊन लेकर
इसी काम में बितनी दो पहर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

अब हर जगह पर जलेंगी अलावें , किये जायेंगे कई तरह के उपाएँ
मानव तो मानव पशुओं को भी डर है, की आज से दिन बड़ा हो रहा है

कहने को तो कहते हैं ठण्ड सजा है , मगर इसका अपना अलग ही मज़ा है
अब देर तक सोने का अवसर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

चाय और कॉफ़ी की चुस्की लगते, चद्दर लिहाफो में छुपते छुपाते
सबकी नज़र होनी आराम पर है , की आज से दिन बड़ा हो रहा है

December 22, 2010

दावत

है पलेटें हाथ में , दोस्तों के साथ में
                 लग रहीं कतार है , दावतों की बहार है

भुख्खरों की भीड़ है पा ले  जो वो वीर  है
                  पाने की तकरार है, दावतों की बहार है

सामने पकवान है , होठों पे मुस्कान है
                    पेट की पुकार है , दावतों की बहार है

खाना है या खेल है , लोग ठेलमठेल है
                    चम्मचों पे भी मार है , दावतों की बहार है

दोस्त दुश्मन लग राहे , शैतान मन के जग रहें
                     सब बने खूंखार है, दावतों की बहार है

सूट  टाई बूट में , सब लगे हैं लूट में
                     ये अजब व्यवहार है, दावतों की बहार है

मिठाइयाँ है रस भरी पनीर प्लेटों में भरी
                    टपका राही ये लार है, दावतों की बहार है

फास्ट फ़ूड की ठाठ है , गोल - गप्पे चाट है
                    बनी सलाद श्रींगार है , दावतों की बहार है

तरह- तरह की डिस सजी , चिक्केन - मटन , फिश सजी
                  हॉट सूप भी तैयार है , दावतों की बहार है

चाय - कॉफ़ी, कोल्ड ड्रिंक्स , प्यास बढाती आईस - क्रीम्स
                   खट्टी-खट्टी डकार है, दावतों की बहार है
                   

December 18, 2010

किताबों की दुनियां

बड़ी ही हँसी मैं किताबों की दुनियां , सभी रंग खुद में समाए हुए हूँ
जुबां से नहीं जो कही जा सकी है   ,  कई  राज  ऐसे  छुपाये  हुए हूँ

पोरस से लेकर सिकंदर की बाते , बाहर की बाते या अंदर की बातें 
बड़े शौख से अपने पन्नों के नीचे , हर इक हकीकत दबाए हुए हूँ

राजा रानी और सिंहासन के झगड़े , प्रजा भुखमरी और राशन के झगड़े ,
खुशी में भी मैंने मनाई है खुशियाँ  ,  और गम में आंसू  बहाए हुए हूँ

माना की कहती है नानी कहानी  ,  मैं रखती हूँ उससे पुरानी कहानी
सदियों पुरानी ख्यालों से आगे  ,  तिलस्मी एय्यारी सुनाए हुए हूँ

मानव के मन की तहें मैंने खोली , नही जो वो बोला वो बातें भी बोली
क्या सोंचता है कोई अपने दिल में , वो जज्बात भी मैं  बताए हुए हूँ

लैला और मजनूं के वादे और कसमें , तोड़ी जो हीर और राँझा ने रस्में
जमाने के संग-संग मै भी जली हूँ , और प्यार उनका जलाए हुए हूँ

वेदों - पुरानों और ग्रंथों की ढेरी , संतों और गुनियों की बातें बहुतेरी
रंगे - बिरंगे  अनोखे - अजूबे  ,  कई चित्र खुद पे बनाए हुए हूँ

मैंने समेटे हैं  हर ज्ञान खुद में  , गृह ज्ञान से लेके विज्ञान खुद में
लाखों हजारो को मैं अपने दम पे , सफलताओं का रस चखाए हुए हूँ

बिगरे सहजादो को मैंने संवारा , पतितो को पावन बनाके उबारा
माने ना माने जमाना ये बातें ,    कई बार दम मैं दिखाए हुए हूँ

मैं हूँ कलाओं को कब से संजोये , सुर ताल लय को हूँ खुद में पिरोये
नहीं दे सकी साथ जिनका ये दुनिया , मैं साथ उनका निभाए हुए हूँ

खोते रहे कई दिन रैन मुझमें ,    पाते रहे सब सुख चैन मुझमें 
हारे हुए  को भी देके दिलासा  ,  आँखों में तारे चमकाए हुए हूँ

मगर अब जमाना बदलने लगा हैं, कई और के रंग में ढलने लगा हैं
कभी ना कभी लौटेंगे मेरे अपने ,     मैं आस अब भी लगाये हुए हूँ

December 8, 2010

आलसीनामा

दिन रात करूँ सुबह शाम करूँ , जब जी चाहे आराम करूँ
बीते ऐसे  ही  अब  जीवन  ,  जी करता ना कोई काम करूँ

ये भाग दौड़ है क्यूँ करना , इस उलझन में है क्यूँ पड़ना
इन जोड़-तोड़ से क्या होगा , आखिर तो इक दिन है मरना

जाने  सब  क्यूँ  बेचैन  रहे , सपनों  में  खोये  नैन  रहे
ये जीना भी कोई जीना है , ना नींद रहे ना चैन रहे

जो  होना  है  वो  होता  है , कोई पाता है कोई खोता है
कोई पत्थर से सर फोड़ रहा , कोई तान के चादर सोता है

दुनिया  मारे  हमको  ताने , आये हमे अपनी समझाने
पर पक्के हम अपनी धुन के , हम तो अपनी मन की माने                  

जो  होता  है  वो  हो  बेकल  , हमको न गंवाने है ये पल
हम आज में जीने वाले हैं , देखेंगे  जो  होना  हो  कल

है अपने लिए हरपल हरक्षण , है ऐसो आराम भरा जीवन
परवाह नहीं करनी हमको , चाहे कहे जहाँ इसे आलसपन 

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