तेरी जिन्दगी हो या हो मेरी जिन्दगी
दिखती है सरल होती है पर टेढ़ी जिन्दगी
सुलझा सका न कोई जिन्दगी का फलसफा
है उलझनों मुसीबतों की ढेरी जिन्दगी
हर रोज सिखाती है नये ढंग जिन्दगी,
चलती है सुख और दुःख के संग जिन्दगी
कहने को है जहाँ में कई जानकार पर ,
ना जाने कोई कब बदल ले रंग जिन्दगी
देती है जिन्दगी में कई नाम जिन्दगी ,
कई खास तो होती है कई आम जिन्दगी
बढती है जितनी उतनी ही घटती है पलपल
ऐसे ही हुई जाती है तमाम जिन्दगी
कभी दर्द कभी गम है कभी प्यार जिन्दगी ,
कभी जीत मयस्सर तो कभी हार जिन्दगी
हर एक जिन्दगी का है वजूद जहाँ में ,
होती नही कभी कोई बेकार जिन्दगी
ना जाने किसने कब कहाँ बनाई जिन्दगी ,
पा के भी ना ये जाना कि कब पाई जिन्दगी
जितना भी जिए जीने कि चाहत नही गई ,
कुछ और कि उम्मीद पे ललचाई जिन्दगी
है तंगहाल सी हुई हर एक जिन्दगी ,
लगती है सदा दूसरों कि नेक जिन्दगी
कहने को तो इन्सान बड़ा खुशमिजाज है
जलता है मगर दूसरों कि देख जिन्दगी
देती है साथ उम्रभर है मीत जिन्दगी ,
गाए अगर इसे तो बने गीत जिन्दगी
है सोचना हमें कि जिए इसको किस तरह ,
हर मोड़ पे सिखलाती नई रीत जिन्दगी
लाती है कैसे - कैसे अजब मोड़ जिन्दगी ,
देती है हौसलों को कभी तोड़ जिन्दगी
हम जिन्दगी का साथ देते रहें सदा ,
देती है एक दिन साथ छोड़ जिन्दगी
नव भारती सेवा ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं का सशक्तिकरण। बदलते वक्त के साथ महिलाओं को भी अपनी परिधि का विस्तार करना होगा, यही समय की मांग है। समाज मे उपेक्षित रूप से जी रहीं महिलाओं को हम उनके ताक़त का भान कराकर उन्हें अपने सम्मानित रूप से जीने का अधिकार प्राप्त करने में सहायता प्रदान करते है|
November 28, 2010
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ऐ काश की फिर लौटा पाते , जो बीत गया है वो जीवन कितना प्यारा कितना सुंदर , कितना न्यारा था वो बचपन वो गलियाँ और वो चौराहा , ...
1 comment:
kavita bahut achhi hai...............
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