October 10, 2010

गजल

अब  तलक  जो सपना  रहा ,  काश  वो  सच  होता  सनम


उम्रभर  को  ना  सहीं  ,  पल  दो  पल  के  ही लिए
मैं तेरी जुल्फों के नीचे ,  चैन  से   सोता   सनम

दिल में हूँ कब से दबाये , दर्द  का  इक  जलजला
चाहूँ  लग  तेरे  गले  से , फुटकर   रोता  सनम

सोंचा था आबाद  होंगे , हम  तुम्हारे  इश्क  से
तुने  सबकुछ  ले लिया , पास मेरे जो था सनम

तू अगर लौटा जो देता , दिल मेरा बस एकबार   
फिर कभी मैं राहेवफा में , दिल नहीं खोता सनम

कसमें वादे याद आते , तुझको भी जब बेपनाह                                 
तू भी अपने पाप दिल के , आंसूओ से धोता सनम

मार के मेरी शख्सियत को , तू बना है बेगुनाह
फिर  रहा  हूँ  दरबदर मैं , लाश को ढ़ोता सनम

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