March 6, 2011

दुश्मन

तुम न होते तो ये जीवन नीरस होता
बेकल न होता मन दिल चैन न खोता
बेपरवाह सी होकर चलती जीवन गाड़ी
आसानी से कटती जाती उम्र ये सारी

गर तुम  आकर राहों में कांटे न बोते
आज जो अनुभव पास है मेरे पास न होते
जीवन के दुर्गम रस्ते आसां  हो जाते
फिर कैसे हम अपनी शक्ति को आजमाते

तुमने मुझे सिखाया बिगाड़ा काम बनाना
अपमानों से बढ़के आगे नाम कमाना
तुम ने चाहा जब भी देना गम का तोहफा
एक नया गुड बचने का हमने भी सिखा

तुम ने कदम हमारे बढ़ते जब जब रोके
बढे और हम आगे ज्यादा साहसी  होके
जब भी हमे दबाने का है तुमने सोंचा
और उठाया हमने अपना सर है ऊँचा

माना तुम हो दोस्त नहीं, हो दुश्मन  मेरे
लेकिन जो हूँ आज मैं हूँ सब कारण तेरे
रात न हो गर दिन की महिमा क्या कोई जाने
गम के बाद ही खुशियों के दिन लगे सुहाने


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