March 17, 2011

होली में

नीले पीले लाल गुलाबी , रंग उड़ेंगे होली में  
रूठे-टूटे -छूटे रिश्ते , संग जुड़ेंगे होली में 

भूली बिसरी कई कहानी , याद करेंगे होली में
कोरे मन पे खुशियों वाली , रंग रंगेंगे होली में 

बड़े बूढ़े सब बनेंगे बच्चे , शोर मचेगी होली में 
चौक चौराहे गली मुहल्ले , खूब सजेंगे होली में 

यारों के संग मिलके करेंगे , सब मनमानी होली में 
नहीं चलेगा कोई बहाना , आनाकानी होली में 

दिल की दूरी ख़तम करेंगे , गले लगा के होली में  
मन के सारे भरम मिटेंगे , मिलके-मिलाके होली में

महकेगा घर का हर कोना , पकवानों से होली में 
भरा रहेगा घर और आँगन , मेहमानों से होली में 

कहीं पे होगी हाथापाई , जोरा-जोरी होली में
कहीं मिलेंगे सबसे छुपके , चाँद-चकोरी होली में

कहीं पे सजनी कहती साजन , घर आ जाना होली में
प्यार के वादे अपने इरादे  ,  ना  बिसराना होली में

देश में माँ परदेस में बेटा , दिल ना माने होली में
गाँव गली वो संगी साथी  , बसे पुराने होली में 

तन्हा अकेला बैठा दीवाना , रोये दिवानी होली में
कहीं ख़ुशी की लहर कहीं पे , आँख में पानी होली में

दुःख दर्द और गम की बातें , चलो भुलाये होली में
मार के मन की कुंठाओं को , जश्न मनाये होली में 

आँखों के रस्ते से छुपके , दिल में समाये होली में
रंग में थोडा प्यार मिलाके , सबको लगाये होली में

बैर भुलाके करे दोस्ती , हाथ बढ़ाये होली में
ऐसा रंग लगाये अबकी , छुट न पाए होली में

आज लगे हर लड़की राधा , कान्हा निकले टोली में
थोड़ी मस्ती थोड़ी शरारत , होगी ठिठोली होली में




March 14, 2011

सुनामी और मानव

प्रलय का ही दूसरा  नाम है ये
तबाही की खातिर बदनाम है ये 
 काल सा लहरों का शोर लिए 
युग के उत्थान का तोड़ लिए 
आके ये जग को मिटाता फिरे 
बहावों में सबको बहाता फिरे 
है इसके लिए न परिधि बनी 
 जाने क्यूँ जग से है इसकी ठनी
बनते को पल में बिगाड़ा करे 
संवरों की सूरत उजाड़ा करे 
आता है बस तोड़ने हौसले 
कहे रोक सकता है तो रोक ले  
ललकारे ये , बेबस खड़ी जिंदगी 
लगती है छोटी ,बड़ी जिंदगी 
सुनो ऐ सुनामी मेरी बात को 
नहीं तुममे ताकत हमें मत दो 
है मानव मरा पर आशा न मरी 
जीने की जिजीविषा न मरी 
हैं गम ऐसे पहले भी आते रहें 
मानव धर्म अपना निभाते रहें 
तुम्हे आता है गर मिटाना हमें 
आता है बिगड़ा बनाना हमें 
माना की सदमा बहुत है बड़ा            
आघात दिल पे किया है कड़ा
लेकिन है जबतक बची जिंदगी 
गम में भी हम ढूंढ़ लेंगे ख़ुशी 
देंगे मिशालें जो हम प्यार के 
जाना पड़ेगा तुम्हे हार के

March 10, 2011

एहसास

मगरूर कह के हमें चल दिए वो , जो जज्बात हमको बताना न आया 
बहुत देर ठहरे वो देखेंगे मुड़के , पर आवाज देके बुलाना न आया                           

बढाती गई दूरियां गलतफहमी , मगर हमें उलझन सुलझाना न आया
वो सुनने को सच्चाई राजी हुए ना , और हमको करना बहाना न आया

 कहते रहे वो  और सुनते रहे हम , हमें हाले दिल भी सुनना न आया
है उनके लिए खेलना दिल से आसां , हमें पैंतरे वो चलाना न आया 

देतें है वो दोस्ती की दुहाई  ,  जिन्हें दोस्ती को निभाना न आया
 इतनी सी हमसे खता हो गई , हमें अपना दामन छुड़ाना  न आया 

नाराजगी दूर करते तो कैसे , हमें उनके नखरे उठाना न आया 
पूछो न हैं क्यूँ खफा जिंदगी से , करे क्या दिल को बहलाना न आया

  है नाज  उनको फितरत पे अपनी , हमें वो सलीका दिखाना न आया
गिराकर हमीं को हमारी नजर में , गया वो जो मेरा दीवाना न आया

मिलतें है दो दिल बड़ी मुश्किलों से , करे क्या दिल को मिलाना न आया
बीतेगी अब उम्र इस कसमकस में , वापस फिर क्यूँ वो जमाना न आया

आदत बुरी तो नहीं रूठने की , करूँ क्या जो हमको मानना न आया
ये माना की हम न उन्हें रोक पाए , उन्हें भी तो वापस आना न आया






March 6, 2011

दुश्मन

तुम न होते तो ये जीवन नीरस होता
बेकल न होता मन दिल चैन न खोता
बेपरवाह सी होकर चलती जीवन गाड़ी
आसानी से कटती जाती उम्र ये सारी

गर तुम  आकर राहों में कांटे न बोते
आज जो अनुभव पास है मेरे पास न होते
जीवन के दुर्गम रस्ते आसां  हो जाते
फिर कैसे हम अपनी शक्ति को आजमाते

तुमने मुझे सिखाया बिगाड़ा काम बनाना
अपमानों से बढ़के आगे नाम कमाना
तुम ने चाहा जब भी देना गम का तोहफा
एक नया गुड बचने का हमने भी सिखा

तुम ने कदम हमारे बढ़ते जब जब रोके
बढे और हम आगे ज्यादा साहसी  होके
जब भी हमे दबाने का है तुमने सोंचा
और उठाया हमने अपना सर है ऊँचा

माना तुम हो दोस्त नहीं, हो दुश्मन  मेरे
लेकिन जो हूँ आज मैं हूँ सब कारण तेरे
रात न हो गर दिन की महिमा क्या कोई जाने
गम के बाद ही खुशियों के दिन लगे सुहाने


March 1, 2011

आशा

बस आखिरी साँस ही बांकी है , फिर भी जीने की अभिलाषा 
लगती है दुनिया विष जैसी , पर मिटे न पीने  की आशा 

है पता की वो न आएगा , जो चला गया है इस जग से 
लगती है झूठी सच्चाई  ,  सच उसके आने की आशा 

वो फसा हुआ है उलझन में , कई सालों से कई अरसों से 
मिटता जाता है जीवन पर , मिटती ही नहीं मन की आशा

उम्मीदों का इक गुलशन है ,  ख्वाबों के फूल लगे जिसमें 
अरमानों के इस सागर का  , पतवार है जीवन की आशा 

अँधेरे में बन के ज्योती , आ जाती चुपके से मन में
उसर-बंजर धरती पर भी , कुछ सपने बोती है आशा

बनके तोहफे दरवाजों पर , रहती है मुसीबत खड़ी हुई 
जब लगती है गम की मूर्छा , संजीवनी होती है आशा

कुछ बुरा नहीं कुछ भला नहीं , जो होता है वो होनी है
आने वाला कल अपना है , ढाढस  दे  जाती है आशा

जो हर गया उससे पूछो , कैसे वो जीत सका खुद को 
आँखों में दर्द भरा लेकिन , मन में मुस्काती है आशा


LIKE MY FB PAGE FRNZZ

https://www.facebook.com/navbhartiseva/