October 4, 2010

कुछ अलग कुछ अनोखा


आओ करें कुछ अलग कुछ अनोखा
जिसमें भरा हो जोश उमंग
और हो जो जादू भरा
आओ चुने कुछ तिनके
चिड़ियों के जैसे
बनाएं इक घोंसला
आओ बटोरे कुछ पत्ते
लगायें इक अलाव
ठिठुरती ठंढ में
आओ चढ़ें पेड़ों पें
उन्हें हिलाएं डुलायें
और नीचे उतर आये
आओ बीच सड़क पे
लगायें ठहाके जी भर के
जैसे की बच्चें किया करतें हैं
आओ करें कुछ हंसी ठिठोली
हम आपने आप से
जो छुट गया कहीं पीछे
आओ बुलाएँ अपना बचपन
वो सादगी वो निडरता
जो बेरंग जिन्दगी में रंग भर दे
 

1 comment:

Unknown said...

the lines depicted here are exceptionally well versed. seems to be a great composition.

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