सूखी रोटी खाना मुश्किल , सब्जी दाल है लाना मुश्किल
सर पे शामत आयी है , बड़ी बुरी महंगाई है
महंगाई मुँह फाड़ खड़े , बनेंगे कैसे दही बड़े
दूध की कीमत बढती जाए , महंगाई सर चढ़ती जाए
सपना हुयी मलाई है , बड़ी बुरी महंगाई है
जेब है खाली कैश नहीं , चूल्हा है पर गैस नहीं
पानी से न भूख दबा , आखिर किसपर चढ़े तबा
पेट में आग लगाई है , बड़ी बुरी महंगाई है
अधनंगे, अधपेटे हैं , पेट पकरकर लेते हैं
महंगाई अब हंसती है, अपने बंधन कसती है
आपने पर फैलाई है , बड़ी बुरी महंगाई है
ठगे - ठगे से लोग खड़े , नेता मिलकर पेट भरे
आपने हिस्से बाँट रहे , सुख सुविधा सब चाट रहे
दुनिया देती दुहाई है , बड़ी बुरी महंगाई है
नव भारती सेवा ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं का सशक्तिकरण। बदलते वक्त के साथ महिलाओं को भी अपनी परिधि का विस्तार करना होगा, यही समय की मांग है। समाज मे उपेक्षित रूप से जी रहीं महिलाओं को हम उनके ताक़त का भान कराकर उन्हें अपने सम्मानित रूप से जीने का अधिकार प्राप्त करने में सहायता प्रदान करते है|
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
LIKE MY FB PAGE FRNZZ
https://www.facebook.com/navbhartiseva/
-
मैं भी रोया तू भी रोई , पर रोने से क्या होता है मैं तेरा हूँ तू मेरी है , जुदा होने से क्या होता हैं है कौन भला इस दुनिया मे...
-
नव भारती सेवा ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं का सशक्तिकरण। बदलते वक्त के साथ महिलाओं को भी अपनी परिधि का विस्तार करन...
-
ऐ काश की फिर लौटा पाते , जो बीत गया है वो जीवन कितना प्यारा कितना सुंदर , कितना न्यारा था वो बचपन वो गलियाँ और वो चौराहा , ...
No comments:
Post a Comment