October 26, 2010

कहाँ है

वो चैन इत्मिनान और सुकून कहाँ है
जो चाहिए जीने को वो जूनून कहाँ है 
ना जाने कहाँ हो गये शिकस्त हौसले 
जो खौलता था बेधरक वो खून कहाँ है

सच के लिए उठने को अब आवाज कहाँ है
वो स्वाभिमान देशभक्ति  नाज कहाँ है
है अपने - अपने गम से यहाँ त्रस्त हर कोई
गमगीं है जहाँ कोई खुश मिजाज  कहाँ है

बादल को अब  बूंदों पे इख़्तियार कहाँ है
सागर को भी लहरों पे ऐतवार कहाँ है
हार शै नशीब है हुआ ऐशो आराम का
पर दिल को एक पल को भी करार कहाँ है

ऊँगली उठी कई बार की भगवान कहाँ है
वो सच्ची और प्यारी सी मुस्कान कहाँ है
झाँका नही कभी भी गिरेबान  में अपने
जो प् सके रब को तू वो इन्सान कहाँ है

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