February 13, 2011

लव गुरु -वेलेंटाइन

ये तुमने क्या किया , करू विरोध या धन्यवाद
लाखों छोर गए अपने सा , तुम अपने जाने के बाद

सजा मिली तुम्हे प्यार की , दे दी तुमने हँस के जान
अमर हुए ज़माने में तुम , करके ऐसा बलिदान

सिखा गए तुम सबको , प्यार का हक़ करना अदा
बना दिया जग ने तुम्हे , अपना रहबर अपना खुदा

पर बदलते ज़माने ने , भुला दिया सब ज्ञान संत
फूहड़ता की आर में , सच्चे प्यार का हुआ अंत

कैद हुई तुम्हारी शख्सियत , कार्ड में और फूल में
खोए सब सन्देश तुम्हारे , पड़ी ये दुनिया भूल में

वेलेंटाइन कुछ ऐसा करो , सबके दिल में प्यार हो
फूंको ऐसा मंत्र , प्यार पे , मिटने को तैयार हो

करो स्थापित प्यार के, मूल्य जो हमने खो दिए
आओ हे  वेलेंटाइन ,  प्यार  के  नए रंग लिए                    

February 8, 2011

वसंत

बहारों का मौसम , नज़ारों का मौसम
है आया धरा के  ,   श्रृंगारों का मौसम

झरें पीले पत्तें , थी सूनी सी डाली
लगे नए पल्लव . अब छाई हरियाली

है सजने लगे अब , लताओं की लड़ियाँ
कली खोलती , धीरे-धीरे पंखुरियां

लगने लगे आम-लीची पे मंजर 
भंवरा भटकता है , बौराया बनकर

चलने लगी है , वसंती हवाएँ
घुसती है तन में , और मन गुदगुदाए

खड़े प्रेम के देवता, लेके तरकश
सामने लगा कोई, ख्वाबों में बरबस

हाथों में वीणा ,हैं आसन कमल के
आई धरा पे है,  वागीशा  चलके

मिटाती अँधेरा, लुटती है सदगुण
जला ज्ञान दीपक, हटाती है अवगुण

दीवाना है अम्बर, मचलती जमीं है
है सबको पता , ये वसंत पंचमी है

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